Tuesday 29 August 2017

मासूमियत

मासूमियत तब्दील हो गई,
चेहरे की लकीरें शूल हो गई,
अब होश भी कम रहता है,
बेहोशी जब से फ़िज़ूल हो गई,

उनसे नज़ारे बना करते थे,
आज आखों में वो धुल हो गई,
अब लाचारी सी रहती है,
आज बेकारी दिल का उसूल हो गई,

तबीयत अब तमामं हो गई,
कुछ ख्वाइशें इंतक़ाम हो गई,
अब ख़तम हो रहा है खुद सब,
दुनियां जब से वीरान हो गई,

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