Wednesday 4 September 2019

लव एवं लस्ट के बीच क्या अंतर है ?

Love - आज के समय में किसी का भी प्यार में पड़ना स्वाभाविक सी बात है। प्यार हमें कहीं भी, कभी भी, किसी से भी हो सकता है। इसके लिए ये बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि प्यार सिर्फ लड़कों को लड़कियों से और लड़कियों को लड़कों से होता है।

जब भी हमें किसी से प्यार होता है तो हम उस समय सिर्फ उसकी अच्छाइयों को देख रहे होते हैं। उसके बारे में कुछ निगेटिव बातें पता ही हमारा प्यार ना जाने कहां छुमन्तर हो जाता है। लेकिन कुछ बातें ऐसी भी हैं कि जब हम किसी के साथ प्यार में होते हैं तो वो सब करना खुद बा खुद अच्छा लगने लगता है। जैसे कि-

1- मोबाइल की घंटी बजने या मिस कॉल आने पर ऐसा लगे उसने ही कॉल किया होगा।

2- फोन पर घंटों बातें करने के बावजूद दिल न माने और बातें करने की इच्छा बनी रहे।

3- रोमांटिक फिल्म में हीरो की जगह स्वयं को व हीरोइन की जगह उसके होने की कल्पना करने लगें।

4- जब वह किसी लड़के/ लड़की के साथ बात करे तो आपको ईर्ष्या होने लगे। उस लड़के/ लड़की का गला घोंट देने की इच्छा होने लगे।

5- आपके पास कैमरा होने पर उसकी ढेर सारी तस्वीरें उतारने का दिल करे।

6- अपने कम्प्यूटर के पासवर्ड में उसके नाम का कोड रखें।

7- गजलें और दर्द भरे गीत आप बड़े ध्यान से सुनने लगें। दूसरों को भी ऐसे गीत सुनने की सलाह देने लगें। गजल, शेरो-शायरी पर लंबा लेक्चर देने लगें। मानो उसके बारे में आपको बड़ा नॉलेज है।

8- आपको अपना डेट ऑफ बर्थ भले याद नहीं हो लेकिन उसके डेट ऑफ बर्थ से लेकर उसके पूरे फैमिली का बायोडाटा जबानी याद हो।

Lust - इसमें हम किसी के साथ प्यार में हो भी सकते हैं और नहीं भी। ऐसा हमारे साथ तब होता है जब किसी ऐसे इंसान को देख लें जिसकी शारीरिक बनावट ऐसी हो कि वो किसी को भी अपने वस में कर ले। ऐसे में हमें उस शरीर को भोगने की इच्छा होने लगती है ऐसा लगता है कि जैसे मुझे ये मिल जाए तो मैं दुनिया जीत लूं। ऐसा किसी के भी साथ हो सकता है चाहे वो लड़की हो या लड़का। जब हम जवानी में कदम रखते हैं तो ऐसा होना स्वाभाविक सी बात है। हर किसी के साथ कभी ना कभी हुआ होता है। ऐसे में अगर हम उस शख्स को पा नहीं सकते तो उसे याद करके तरह तरह की एक्टिविटी करने लगते हैं। और अगर उस शख्स को पा लेते हैं तो कुछ समय बाद जी भरते ही ये सब खत्म हो जाता है।

लव के साथ लस्ट शब्द ज्यादातर सुनने को मिलता है। इसका कारण यह है कि शुरू में यह पता नहीं चल पाता है कि कोई लव के कारण आपके साथ रिलेशनशिप में है या लस्ट के कारण। लेकिन जब पता चलता है तब इमोशनल ट्रामा से गुजरने की स्थिति आ जाती है। रिलेशनशिप के शुरूआत में यह पता लगाना काफी मुश्किल होता है कि वास्तव में यह लव है या लस्ट। लेकिन जैसे जैसे समय बीतता है हमें खुद ही इस बात का एहसास हो जाता है कि हमारा पार्टनर वास्तव में हमसे सिर्फ सेक्स चाहता है। इसको भी पहचानने के कई तरीके हैं जैसे कि-

1- शारीरिक सुंदरता देखकर पीछे भागना लस्ट है ।

2- लस्ट होने पर रिलेशनशिप जल्दी खत्म हो जाती है ।

3- लस्ट में कोई कमिटमेंट नहीं होता ।

4- लस्ट होने पर आपका पार्टनर सब कुछ छिपाएगा ।

क्या कभी आपने अपने दिल की धुन सुनी है?

आपने इस प्रश्न में ये स्पष्ट नहीं किया है कि आप कौन सी दिल की धुन सुनने की बात कह रहे हैं। वो जो स्टेथोस्कोप से सुनते हैं या वो जो हम तब सुनते हैं जब हम कुछ करना चाहते हैं लेकिन सुनिश्चित नहीं कर पाते कि क्या करना है। जब आपने पूंछ ही लिया है तो चलिए आते हैं आपके प्रश्न पर और मेरे जबाब पर।

मैंने आज तक कभी भी अपने खुद के दिल की धुन को स्टेथोस्कोप की मदद से नहीं सुना है। लेकिन हां एक दो बार अपने दोस्तों के दिल की धुन को जरूर सुना है।

अब अगर आप उस दिल की धुन की बात कर रहे हैं जिसके बारे में अक्सर लोग कहते रहते हैं कि अपने दिल की सुनो। तो ऐसा मैंने कई बार किया है। इसके लिए मैं आपको अपना खुद का एक किस्सा सुनाऊंगा।

ये बात तब की है जब मैंने 9वीं क्लास में एडमिशन लिया था। मुश्किल से 4–5 दिन ही हुए होते क्लास जाते। कि अचानक से एक दिन मैं बीमार पड़ गया। जब आंख खुली तो खुद को हास्पिटल के बेड पर पाया। कई तरह की जांचें हुईं तो पता चला कि मेरे दिमाग का 5 सेमी. हिस्सा सूख चुका है उसमें ब्लड सप्लाई नहीं है। बहुत लम्बे समय तक इसका इलाज भी चला लेकिन कहीं से कोई फायदा भी नहीं हुआ था। डाक्टर ने मुझे कुछ भी करने से मना किया था जैसे कि मैं ना तो कहीं खेलने जा सकता था ना पढ़ सकता, ना ही टीवी देख सकता था। उसके बावजूद भी मैं चोरी छुपे थोड़ी बहुत देर पढ़ लिया करता था।

इतना सब हो जाने के बाद जब मैं अन्त में फिर से घर वालों के साथ डाक्टर के पास गया। तो डाक्टर का एक ही जवाब था कि मेरे पास बहुत कम समय है, मैं जितना जी रहा हूं बहुत है। मैं जो करना चाहूं मुझे करने दिया जाए। बस ये आदेश दे दिया कि मुझे किताबों से दूर रखा जाये वरना मेरा अन्त समय और भी नजदीक हो सकता है।

घर आने के बाद जब हर किसी ने मुझसे यही कहा कि अब पढ़ाई छोड़ दो। तो मैंने भी यही जिद पकड़ ली कि नहीं, मुझे तो पढ़ना है। और फिर घरवालों ने भी मेरी जिद को मान लिया। मेरा एडमिशन करा दिया गया फिर से। लेकिन मैं स्कूल नहीं जाता था। घर पर रहकर ही पढ़ता, सिर्फ परीक्षा देने ही जाता।

अब आप सोच रहे होंगे कि मैंने इसमें अपने दिल की धुन को कहां सुना। वो दिल की धुन मेरी जिद ही थी।

कहां जिसके पास बहुत कम समय था, वो इन्सान आज भी जिन्दा है। और एक डॉक्टर बनने की ओर अग्रसर है।

धन्यवाद

Tuesday 3 September 2019

क्या आपने कभी किसी से प्यार किया है, आपके प्यार की शुरुआत कहां से हुई ?

शायद ही कोई ऐसा हो जिसे कभी प्यार हुआ ना हो वरना आज के दौर में हर इंसान इस मनचाही बीमारी की तरफ बढ़ता जा रहा है। कुछ को तो इसका मतलब भी नहीं पता फिर भी वो लाइन में लगे हुए हैं।

हां औरों की तरह ही मुझे भी प्यार हुआ था लेकिन वो प्यार कुछ मायनों में बाकी लोगों के प्यार से अलग था। क्योंकि ये प्यार उस शख्स से हुआ था जिसे मैंने कभी देखा भी नहीं था ना ही कभी बात की थी यहां तक की उसके बारे में कुछ जानता भी नहीं था।

तब मैं १२वीं क्लास में था और वो १०वीं क्लास में, जब मेरे बड़े भाई ने मुझे उसके बारे में बताया था।तब मुझे पहली बार उसका नाम पता चला था।भाई से उसकी तारीफ सुनके मुझे भी अच्छा लगा, दिल में कई अरमान जागने लगे । क्योंकि वो कोई और नहीं, मेरे भाई की गर्लफ्रेंड की बहन थी, तो उसका मोबाइल नंबर ढूंढने में भी कोई परेशानी नहीं हुई।

मुझे मेरी मंजिल की ओर ले जाने में मेरा साथ BSNL की सिम ने भी दिया क्योंकि मैं लखनऊ में रहता था तो रोमिंग में होने की वजह से उसके सारे मैसेज फ्री थे। मुझे शायरी लिखने का बचपन से ही शौक था। ज्यादा अच्छी तो नहीं लेकिन टूटी फूटी लिख लेता था। ऐसे ही जब मैं कोई शायरी लिखता तो उसे मैसेज के जरिए अपने सारे कान्टैक्ट नम्बर पर भेज देता। जिसमे से एक नम्बर उसका भी था।

ऐसे ही कई दिन गुजर गए मैंने तब तक उससे बात भी नहीं की थी। फिर एक दिन उसकी बहन के माध्यम से पता चला कि वो मुझसे बात करना चाहती है। मैंने भी हां बोल दिया बात करने को। फिर जब उसकी फोन काल आई तो पहले तो हम दोनों में नार्मल बातें ही होती रहीं।

फिर बात करते करते मैंने उससे पूंछ ही लिया कि तुम किसी से प्यार करते हो। तो उसका जवाब सुनकर मुझे भी कुछ समय तक यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि उसने बोला था कि मैं तुमसे प्यार करती हूं तो मुझे किसी और की क्या जरूरत, मेरा प्यार तो तुम ही हो।

उसके २-३ महीने बाद मैं पहली बार उससे मिला था जिसमें मिलने में भाई ने मदद की थी क्योंकि अभी तक मैंने उसको देखा नहीं था जिसकी वजह से मैं तो उसको पहचानने की हालत में भी नहीं था।

जब उससे मिला तो उसके साथ उसकी बहन भी थी जिससे अक्सर मेरी बात हो जाया करती थी। लेकिन मिला उनसे भी नहीं था। जाते ही मैंने सबसे पहले उन दोनों से उनका नाम पूंछ कर पता किया।तब जाकर कहीं पता चला कि मैं जिससे प्यार करता हूं वो इन्हीं में से एक है।

और इस तरह से मेरी भी प्यार की गाड़ी आगे बढ़ चुकी थी।

धन्यवाद !

मछली अंडे देती है या बच्चे ?

मछली दोनों दे सकती है अंडे भी और बच्चे भी। ये निर्भर करता है कि मछली किस प्रकार की है और कहां पाई जाती है।

सामान्यतः मछली दो प्रकार की होती है-

१-: Chondrichthyes fishes -

ये मछली exclusively marine water में पायी जाती है और बच्चे देती है।

Ex. Scoliodon, Shark, Pristis, Trygon, Torpedo etc.

२-: Osteichthyes Fishes -

ये मछली दोनों जगह Fresh water और marine water में पायी जाती है और अण्डे देती है।

Ex. Rohu, Catla, Clarias, Hippocampus, Exocoetus etc.

धन्यवाद !

क्या प्यार एक एहसास है या एक पसंद है?

मेरे अनुसार,

प्यार में एहसास जैसी कोई चीज होती ही नहीं है । अगर हमें कुछ पसंद आता है तो हम उसे प्यार का नाम दे देते हैं फिर चाहे वो कोई इन्सान हो, वस्तु हो, या जानवर हो।

जब हम उसे पहली बार देखते हैं तो हमें उसकी खूबियां नजर आती हैं। सिर्फ उसकी खासियत को देखने लगते हैं। उसके पाज़िटिव प्वाइंटस ढूंढते ढूंढते उसमें इतना खो जाते हैं कि उसके निगेटिव प्वाइंटस की हमें याद ही नहीं रहती। और ऐसा करते करते वो चीज हमें पसंद आने लगती है जिसे हम प्यार का नाम देना शुरू कर देते हैं।

अगर प्यार एक एहसास होता तो इसमें हमें एक साथ ही सारे पाज़िटिव और निगेटिव पहलुओं का पता चल जाता। एहसास अगर होता तो उसका दोनों तरफ होना जरूरी था लेकिन ऐसा सामान्यतः नहीं होता है।

प्यार वही है जो हम पसंद करते हैं जिसे पसंद करते हैं। इसलिए प्यार कभी भी, किसी भी वस्तु, स्थान, मनुष्य,या जानवर से हो सकता है। ऐसा बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि प्यार हमेशा इंसान से ही हो ।

जैसा कि हम सभी लोग अपने चारों तरफ देखते हैं कि आज के समय में हर कोई आशिकी का खेल, खेल रहा है। आज अगर कोई पसंद आ गया, प्यार का नाम दे दिया। कुछ समय बाद कोई और पसंद आ गया उसे भी प्यार का नाम दे दिया। और ऐसा चलता रहता है ना जाने कब तक।

इन सब में एहसास जैसी कोई बात ही नहीं है, बस एक भ्रम है।

धन्यवाद