Tuesday 3 September 2019

क्या प्यार एक एहसास है या एक पसंद है?

मेरे अनुसार,

प्यार में एहसास जैसी कोई चीज होती ही नहीं है । अगर हमें कुछ पसंद आता है तो हम उसे प्यार का नाम दे देते हैं फिर चाहे वो कोई इन्सान हो, वस्तु हो, या जानवर हो।

जब हम उसे पहली बार देखते हैं तो हमें उसकी खूबियां नजर आती हैं। सिर्फ उसकी खासियत को देखने लगते हैं। उसके पाज़िटिव प्वाइंटस ढूंढते ढूंढते उसमें इतना खो जाते हैं कि उसके निगेटिव प्वाइंटस की हमें याद ही नहीं रहती। और ऐसा करते करते वो चीज हमें पसंद आने लगती है जिसे हम प्यार का नाम देना शुरू कर देते हैं।

अगर प्यार एक एहसास होता तो इसमें हमें एक साथ ही सारे पाज़िटिव और निगेटिव पहलुओं का पता चल जाता। एहसास अगर होता तो उसका दोनों तरफ होना जरूरी था लेकिन ऐसा सामान्यतः नहीं होता है।

प्यार वही है जो हम पसंद करते हैं जिसे पसंद करते हैं। इसलिए प्यार कभी भी, किसी भी वस्तु, स्थान, मनुष्य,या जानवर से हो सकता है। ऐसा बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि प्यार हमेशा इंसान से ही हो ।

जैसा कि हम सभी लोग अपने चारों तरफ देखते हैं कि आज के समय में हर कोई आशिकी का खेल, खेल रहा है। आज अगर कोई पसंद आ गया, प्यार का नाम दे दिया। कुछ समय बाद कोई और पसंद आ गया उसे भी प्यार का नाम दे दिया। और ऐसा चलता रहता है ना जाने कब तक।

इन सब में एहसास जैसी कोई बात ही नहीं है, बस एक भ्रम है।

धन्यवाद

No comments:

Post a Comment