Monday 23 October 2017

चलो, दिवाली मनाते हैं |

आज अपने ग्रुप के सबसे शांत रहने वाले दोस्त को फ़ोन मिलाते हैं। अपने ग्रुप के जोकर को भी दिवाली वाले जोक्स मार-मार के हँसाते हैं। चलो, आज अपने सारे दोस्तों को अपने घर बुला के लाते हैं।

आज अपनी उस दोस्त के घर होके आते हैं, जिसका अभी पिछले महीने ही ब्रेक-अप हुआ है। उन दोस्तों के घर, उनसे मिल के आते हैं जो त्योहारों के मौसम आते ही अपने घरों के कोनों में दुबक के छिप जाते हैं। चलो, आज हर इंपोर्टेंट इंसान को उसकी इंपोर्टेंन्स का एहसास करवाते हैं।

आज अपने फ्रेंड-एनेमी को भी दिवाली के मौके पर गले से लगा के, अपना दोस्त बना के आते हैं। हाथी-घोड़े वाली मिठाई खा के, हम दुनिया भर की सारी कड़वाहटें भूल जाते हैं। चलो, रसगुल्लों की मिठास हम अपने अपनों के दिलों में भी घोल आते हैं।

आज अपने उन बूढ़े पड़ोसियों के यहाँ जाते हैं, जो अक्सर त्योहारों के दिनों में अकेले ही त्योहार मनाते रह जाते हैं। बग़ल वाली पम्मी आँटी को भी डिनर पे बुलाते हैं। शर्मा अंकल, जिनसे पापा की लड़ाई है, चलो आज, उनका दरवाज़ा खटखटा के, उनको भी विश करके आते हैं।

आज सच ही में थोड़ा अँधेरा मिटाते हैं। किसी रोते हुए चेहरे की मुस्कुराहट बन जाते हैं। आज डिप्रेशन, एंग्ज़ायटी, लोनलिनेस नाम के राक्षसों का पुतला जलाते हैं। चलो, आज दिवाली मनाते हैं।

आज किसी के गमों को मिटाने की ख़ातिर, किसी के आँसुओं के बह जाने के लिए एक हमदर्द का कंधा बन जाते हैं। किसी की तन्हाईयों के हम आज हमसफ़र बन जाते हैं। आज सच ही में थोड़ा अँधेरा अपनी ज़िन्दगियों से भी मिटाते हैं।

चलो, आज हम सब एक साथ मिल के दिवाली मनाते हैं।

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