Tuesday 24 April 2018

बातें ही बातें हैं...भगवती प्रसाद व्यास 'नीरद'

चाहत मेरी पहचानता नहीं ,
दिल की बातें वह जानता नहीं !!

फूलों की माला है चुनी बुनी ,
बांध चुके गांठें मानता नहीं !!

आंखों में नींदों की खता कहां ,
आस चढ़ी सूली जानता नहीं !!

अलकें हैं काली सी घटा यहां ,
भीगें हम दोनों मानता नही !!

बातें ही बातें हैं अदा कभी ,
सब कुछ पायेगा मानता नहीं !!

अपनों ने अकसर दी सज़ा यहां ,
गैरों के दिल की जानता नहीं !!

खुशबू को बांधा है यदा कदा ,
वक़्त ठहर जाये ठानता नहीं !!

हमने तो बुन डाले सपन कई ,
पल ने जो ठानी मानता नहीं !!

दुनिया में मतवाला दिखे वही ,
सूरत दूजी पहचानता नहीं !!

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