Tuesday 24 April 2018

वक्त का वक्त क्या है पता कीजिए - कुमार अरविन्द

 गजल : कुमार अरविन्द

वक्त का वक्त क्या है पता कीजिए |
बाखुदा हूं ‘ खुदा बाखुदा कीजिए |

दर्दे – दिल आज मेरे मुखालिब रहे |
सुखनवर से उन्हें ‘ आशना कीजिए |

चांद तक की अदा कुछ सँवर जायेगी |
अश्क आंखों से गर आबशा कीजिए |

कल्बे – रहबर इनायत बनी गर रहे |
चंद – लम्हों में फिर राब्ता कीजिए |

मशवरा ये हुकूमत तुम्हीं से लेगी |
नौजवानों खड़ा ‘ काफिला कीजिए |

जब वरक लफ्ज तेरे आगोश मे हैं |
दर्दे दिल लिख के ही रतजगा कीजिए |

मुझको अरविन्द हर सू नजर आते हैं |
मोजिज़ा ही सही मोजिज़ा कीजिए |

बाखुदा – खुदा के लिए , मुख़ालिब – आमने सामने , सुखनवर – शायर , आशना – परिचय , आबशा/आबशार – झरना , कल्बे रहबर – पथप्रदर्शक की पहले , राब्ता – मुलाकात , वरक – पन्ना , मोजिज़ा – चमत्कार

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