Sunday 19 November 2017

*जुदाई का एक ख़त*

*जुदाई का एक ख़त*

जानां!

जानती हो ,
रोज़ सोचता हूँ एक ख़त लिखूँ तुमको, वही ख़त जो मैंने अपने इश्क़ के पहले दिन से लिखना चाहा था। लेकिन कभी लिख नहीं पाया लेकिन सोच रहा हूँ आज लिखूँ, फिर अगले ही पल सोचता हूँ कि क्या वो खत कभी पहुँचा पाऊंगा तुमको और अगर कभी तुमको मिल भी गया तो क्या तुम पढ़ोगी उसको?
क्या तुम पढ़ पाओगी या यूँ कहूँ कि महसूस कर पाओगी उनको क्योंकि शब्दों को पढ़ा नही महसूस किया जाता है। क्या तुम महसूस कर पाओगी कि कितना अकेला हो गया हूँ मैं?

अगर मेरी इस लाइन को तुमने महसूस किया होगा तो मुझे शायद ये बताना नहीं पड़ेगा कि  कितना ज़्यादा अकेला हो गया हूँ मैं। कैसे बताऊँ कि कभी-कभी बहुत कुछ लिखना चाहता हूँ लेकिन पन्ने फटते हैं, कलम चलती है और कोई भी कहानी या कविता पूरी नहीं हो पाती क्योंकि शब्द तो खो गए हैं ना मेरे।

तुम जो खो गयी हो ना, जानती हो दिन बहुत उदास रहने लगे है मेरे और रात मुझे घूरती है हर रोज़ बुझने तक। बालकनी मेरी सबसे पसंदीदा जगह हो गयी है, कभी-कभी तो पूरी रात वहाँ बीत जाती है। हाँ, सच मे पूरी रात!

कभी कभी तो लैम्पपोस्ट के इन लाइटों से भी चिढ़ होती है, जी करता है कि फोड़ दूँ इनको। कभी मन करता है रोड पर चल रहे या आसपास रह रहे हर किसी से बात करूं और कभी सोचता हूँ कि इतना शांत हो जाऊं कि किसी की आवाज़ ही ना सुनाई दे, और सुनूँ तुम्हारी साथ की गयी हर बात को।

मुझे अपने आस पास की हर चीज़ महसूस होती है। नल से टिप-टिप रिसता पानी, घड़ी की टिक-टिक करती आवाज़, पंखे का शोर, अगर कुुछ नहींं सुनाई देती हैै तो तुम्हारे लौट आने की उम्मीद।

जानाँ, मैंने सच में सिर्फ तुमसे प्यार किया था सिर्फ तुमसे। तुम्हारे साथ बिताया हुआ हर एक पल एक फ़िल्म की तरह चलता रहता है आंखों के सामने, हाँ वही दो या तीन महीने ही जो तुमको बहुत कम समय लगा था और मुझे बहुत बड़ा क्योंकि उन दिनों को नहीं, मैंने तो पलों को जिया था ना। उन पलों को जिनमें तुम पास थी, साथ थी।

और भी बहुत कुछ है लिखने को जो मेरे शब्द समेट नहीं पा रहे, और कलम लिख नहीं पा रही, सो बस।

हाँ कभी कभी रो भी लेता हूँ, लड़के भी रोते हैं।
आज अकेलापन सारी सीमाएं पार कर रहा है।

सुनो ना! अगर हो सके तो लौट आओ मैं ये तो नहीं कहूंगा कि मैं दुनिया मे सबसे ज़्यादा प्यार दूंगा तुमको, लेकिन ये वादा है तुमसे कि मेरी दुनिया के सारे प्यार पर सिर्फ तुम्हारा हक़ होगा।

लौट आओ ना प्लीज़।

तुम्हारे खत के इंतज़ार में...

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