तमन्ना उसकी की है जो कभी हांसिल नहीँ होगा
कभी कश्ती की बाहों में कोई साहिल नहीं होगा।
जला दूं तुम कहो तो दिल की हर ख्वाहिशें अपनी
मगर फिर भी हमारा दिल तेरे क़ाबिल नहीं होगा।
बहुत समझा लिया है हमने अपने दिलको हमदम
तेरी दुनिया में दोबारा ये दिल शामिल नहीं होगा।
भरोसा कर लिया मैंने लगाया इल्ज़ाम जो तुमने
सफ़ाई दें भी क्या अपनी गवाह हाज़िर नहीँ होगा।
अब चलो हम हार जाते हैं जब हमको हारना ही है
दिल्लगी के खेल में तुमसे बड़ा माहिर नहीं होगा।
हां बड़े अहसान हैं हमपर खुदाया शुक्रिया है तेरा
दर्द ए उल्फत में भी जानिब दिल काफिर नहीँ होगा।
— पावनी
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