Friday 13 April 2018

अज़नबी

रमाकान्त पटेल 

मैं तो एक अज़नबी हूँ

आता रहता हूँ ख़्वावों में

करती हो मेरा इंतजार क्यों

क्यों देखती हो राहों में

मांगती हो हरदम ख़ुदा से

आता हूं तुम्हारी दुआओं में

कहती नहीं हो किसी से तुम

रहती हो अपनी कदराओं में

मैं जानता हूँ कि तुम मुझको

ढूँढती रहती हो चौबारों में

तुमने कहा है ये ख़ुद से

वो होगा एक हजारों में

अज़नबी की कोई पहचान नहीं

वो मिल जाएगा इन्हीं नज़ारो में

          -रमाकान्त पटेल

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