Friday 18 May 2018

तुम को ढूंढ़ा करती हैं - रवि प्रभात

 पुरे आठ पहर नज़रे
तुम को ढूंढ़ा करती हैं

किसी के आहट पे
तुम को ढूंढ़ा करती हैं

एहसास तो पास का होता है
पर नज़रे उदास होती है

तेरे बेरुखी आदतों ने
मुझे उदास कर रखा है

तुम दिख जाओ एक बार
इस चाह में
बार बार पलटा करता हूँ

फिर वही खालीपन
और वही ख़ामोशी
मुझे चिढ़ा जाती है

पुरे आठ पहर नज़रे
तुम को ढूंढ़ा करती है

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