Thursday 31 August 2017

मेरी आँखों की कमी


मेरी आँखों की कमी, दिल की रूमानी जमी,
कंहाँ हो..
मेरी गीली पलकों, होठों की छुप्पी दबी हंसी,

आज भी ज़िंदा मुझमे, तेरे साथ का अहसास,
तेरी कमी..
पूरी नहीं होती, कितनी नापु ख्वाबों की जमी,

दिन ख़फ़ा हुए, खफ़ा नहीं हुई, यादों की जमी,
आती रही..
भूली बिसरी यादें, छूकर जाती रही. तेरी कमी,

मेरी मौसम में नमी, ऐ मेरी बारिश, मेरी कमी,
कंहाँ हो..
मेरे चेहरे की अदा, क़दमों की आहट, मेरी जमी,

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