Saturday 9 September 2017

बस मुझे गम है इतना सा

बस मुझे गम है इतना सा

बस मुझे गम है इतना सा,
की तू मेरी उम्र न बढ़ा सका,
मेरी किस्मत में लिखा था...
फिर मेरी किस्मत की लकीरों पे रोना,
बस मुझे गम है इतना सा,
तू मेरी बदकिस्मत लकीरे न मिटा सका...

मैंने जीना चाहा उम्मीद में,
की तू मेरी उम्मीद न बढ़ा सका,
तेरी सब बातों में कुछ छुपा था,
तू बस उसे अपनी आँखों में न छुपा सका..
बस मुझे गम है इतना सा,
तू छुपता रहा मुझसे, पर किसी को न छुपा सका..

मैंने चाहा की भूल जाऊ सब,
की तू किसी को न भुला सका,
मेरे सीने पर ज़ख़्म ही लिखे थे...
तू हर रोज मुस्कुराकर ज़ख़्म देता चला गया,
बस मुझे गम है इतना सा,
तूने मुझे पाया भी नहीं और तू खोता चला गया...

बस मुझे गम है इतना सा,
की तू मेरी उम्र न बढ़ा सका,...

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